अपामार्ग या चिरचिडा एक असाधारण बूटी है
अपामार्ग के प्रयोग :
"विष पर :- *जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है।
*इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है। सूजन चढ़ चुकी हो तो शीघ्र ही उतर जाती है
*ततैया, बिच्छू तथा अन्य जहरीले कीड़ों के दंश पर इसके पत्ते का रस लगा देने से
जहर उतर जाता है। काटे स्थान पर बाद में 8-10 पत्तों को पीसकर लुगदी बांध देते हैं। इससे व्रण (घाव) नहीं होता है"
दांतों का दर्द :-
*अपामार्ग की शाखा (डाली) से दातुन करने पर कभी-कभी होने वाले तेज दर्द खत्म हो जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।*अपामार्ग के फूलों की मंजरी को पीसकर नियमित रूप से दांतों पर मलकर मंजन करने से दांत मजबूत हो जाते हैं। पत्तों के रस को दांतों के दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है। तने या जड़ की दातुन करने से भी दांत मजबूत होते हैं एवं मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है।
*इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा को भरने में मदद करता है।
*अपामार्ग की ताजी जड़ से प्रतिदिन दातून करने से दांत मोती की तरह चमकने लगते हैं। इससे दांतों का दर्द, दांतों का हिलना, मसूढ़ों की कमजोरी तथा मुंह की दुर्गन्ध दूर हो जाती है।"
प्रसव सुगमता से होना :-
*प्रसव में ज्यादा विलम्ब हो रहा हो और असहनीय पीड़ा महसूस हो रही हो, तो रविवार या पुष्य नक्षत्र वाले दिन जड़ सहित उखाड़ी सफेद अपामार्ग की जड़ काले कपड़े में बांधकर प्रसूता के गले में बांधने या कमर में बांधने से शीघ्र प्रसव हो जाता है। प्रसव के तुरंत बाद जड़ शरीर से अलग कर देनी चाहिए, अन्यथा गर्भाशय भी बाहर निकल सकता है। जड़ को पीसकर पेड़ू पर लेप लगाने से भी यही लाभ मिलता है। लाभ होने के बाद लेप पानी से साफ कर दें।*चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ को स्त्री की योनि में रखने से बच्चा आसानी से पैदा होता है।
*पाठा, कलिहारी, अडूसा, अपामार्ग इनमें से किसी एक औषधि की जड़ के तैयार लेप को नाभि, नाभि के नीचे के हिस्से पर लेप करने से प्रसव सुखपूर्वक होता है। प्रसव पीड़ा प्रारम्भ होने से पहले अपामार्ग के जड़ को एक धागे में बांधकर कमर में बांधने से प्रसव सुखपूर्वक होता है, परंतु प्रसव होते ही उसे तुरंत हटा लेना चाहिए।
*अपामार्ग की जड़ तथा कलिहारी की जड़ को लेकर एक पोटली मे रखें। फिर स्त्री की कमर से पोटली को बांध दें। प्रसव आसानी से हो जाता है।"
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