रोज पूजा की विधि और पवित्र समारोह का महत्व :-

पूजा एक पवित्र और सुंदर वैदिक समारोह है। 



यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है जिसमें हम हिंदू द्वारा किये गये धार्मिक अनुष्ठान में प्रार्थना करते हैं, पूजा करते हैं, श्रद्धांजलि देते हैं और ब्रह्मांड के दैवीय देवताओं के प्रति हमारे सम्मान देते हैं। हम उन्हें प्रशंसा करते हैं और उन सभी उपहारों के लिए धन्यवाद जो उन्होंने हमें दिया है।

बदले में हम उनके आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त करते हैं। यह अभिव्यक्ति के बीज शुरू करने का भी एक शक्तिशाली तरीका है, चाहे हम पीड़ितों से स्वतंत्रता, शादी और रिश्ते, बच्चों, अधिक स्वास्थ्य, धन, स्थिति और स्थिति आदि में वृद्धि के लिए आज़ाद हों।

पूजा विभिन्न दिनों के अवसरों और शादी पर, घर में साधारण रोज़ पूजा से की जाती है, ताकि पवित्र दिवसों पर किए गए मंदिर समारोहों को विस्तृत किया जा सके।

भक्ति के साथ की जाने वाली पूजा नकारात्मक कर्म को साफ करने का एक साधन हो सकती है।

सेडोना के प्रामाणिक आयुर्वेद में हम आपके साथ ये सुंदर पवित्र वैदिक समारोह करते हैं। वे सरल हैं, फिर भी बहुत पवित्र और प्रभावी हैं प्रत्येक पूजा आपकी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित है

पको एक विशिष्ट उद्देश्य और देवता के लिए एक विशेष मंत्र सिखाया जाएगा। हम आपको घर पर बुनियादी पूजा करने के लिए कदम दिखाएंगे, ताकि आप प्रार्थना करने और भरपूर आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। 


  • शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी का पात्र नहीं चढ़ानी चाहिए. 



  • तुलसी का पत्ता स्नान किए बिना नहीं तोड़ना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार यदि बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते को भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं 



  • तुलसी के पत्तों को तोड़ने के बाद 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है. इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को श्रद्धा अर्पित किया जा सकता है. 



  • रविवार को ,या एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ना चाहिए



  • सूर्य देव को कभी भी शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए 



  • दूर्वा घास (एक प्रकार की घास) रविवार को कभी नहीं तोड़नी चाहिए! 



  • बुधवार या रविवार को पीपल के वृक्ष में कभी जल अर्पित नहीं करना चाहिए. 



  • स्टील की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए. अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम , प्लास्टिक , और लोहे से बने बर्तन आदि अशुद मने गए है . गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है. 



  • किसी भी पूजा, विधान में या धार्मिक अवशर में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. 



  • मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल ही अर्पित किया जाता है. इस फूल को पांच दिनों तक लगातार जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं 



  • सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव पूजनीय कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों के स्टार्ट करने से पूर्व में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए. प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना अति अनिवार्य है . इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है

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