गुग्गल ,चंदन, केशर की दुर्लभ प्रजातीय- नही जनता होगा कोई हमारी गौरव पूर्ण विरासत को
१) महिषाक्ष -महानील कुमुद भोर की तरह काले रंग की और भैस के नेत्र के सामान चमकिले रंग की महिषाक्ष गुग्गल होती है !
२) महानील गुग्गल-ये गुग्गल बहोत नीले रंग के होती है !
३) कुमुदाख्य-गुग्गल का रंग कुमुद के तरह होता है!
४) पद्म- ईश गुग्गल का रंग मानिक रतन के सामान लाल होता है !
५)हिरण्याख्य गुग्गल- ये सोने की तरह पिले रंग की होती है!
ऊपर दिए गए सभी पाचो प्रकार की गूगल के लक्षण है!
महिषाक्ष और महानील गुग्गल हाथिये के लिए उत्तम है!
कुमुदाख्य और पद्म गुग्गल घोड़ो के रोग में काम आता है
मनुष्य के लिए सुवर्ण गूगल का उपयोग करना चईये!पिले रंग के न मिले तो महिषाक्ष गूगल का उपयोग करना चईये!
गुण -
कड़वे संवाद की होती है हडियॉ को जोड़ने में, बलवर्धक ,स्वर को उत्तम करती है इंटेबक्टेरिअल और रासायनिक किर्याओ में भी ईशका उपयोग होता है!
प्रयोग -
कफ वादी अपच मदरोगे प्रेमह पथरी आमवात गांठ का रोग सूजन बवाशीर गण्डमाला और किर्मी रोगों में उसे होता है!
नवीन गुग्गल -चिकनी पिली उज्वल शुगंदित होती है
पुरानी गुग्गल- सोखी दुर्घनद युक्त होती है
गुग्गल लेते समय खटाई मिर्ची धुप में घोमना शराब पीना क्रोथ करना त्याग दे!
गूगल के वृक्ष रेगिस्थान वाले स्थान पर होते है गर्मी के ऋतू में सूर्य की धुप से तप कर और शरद ऋतू में ठण्ड से पच तरह के गूगलरस उत्पन होते है!
गूगल की परीक्षण -
अग्नि में जल उठे धुप में धरने से पिघल जाये !ग्राम पानी में घुल कर पानी हो जाये आदि लक्षण अछि गूगल के है!
पुरानी गूगल उपयोग में नही लानी चईये !न है औषदि के रूप में उपयोग करना चईये!
कणगुग्गल-शूल उधर के रोग अफारा और कफ को नस्ट करती है!
भूमिजगुग्गल- माँ दुर्गा को बहोत पसंद है नवरातों में इश का उपयोग करे !
दुस्ट सक्ती को दूर करने वाली, सदैव सुगंद देने वाली होती है!
सरल निर्यास गुग्गल- ये देवदारक गोंद है
प्रयोग -
इसके द्वारा वादी मस्तकरोग नेत्ररोग दुर्घद, कर्मि नासक खुजली लौ ब्लड प्रेशर फीवर को दूर करता है!
चंदन के ओषदिक गुण-
चंदन को श्रीखंड,भद्रश्री, गन्धसार, हिन्हुस्तानकीश्रीभाषामेंचंदनखाजाताहै!
ये एक शाकीजाती का वृक्षहै
उत्तम चंदन के गुण -जो स्वाद में कड़वाआंनददयाक धिसने में पीलातोड़ने में लालऔर रूप मेंसफ़ेद हो जिशमें खोकर, भरीबक्कल चढ़ा होवो
उत्तम चंदन मानागया है !
गुण- शीतलखुसबूदार विषकाफ प्यास ब्लडएसिडिटी ,को डोरकरे!
चंदन दो प्रकारकाहोताहै-
बेट्ट चंदन -
विन्धयाचल पर्वत के समीपजो पर्वत हैउसको बेट्ट कन्हाजाता है उन्हेंपर्वत पर जोचंदन पाया जाताहै उसीको बेट्टचंदन बोलते है! ये गीला, छिदरहितहोता है!
गुण -बेट्टचंदन बहोत हीशीतल दाह,पित्त, वमन, मोह , कोड़खासी , नशो केसभी विकार कोडोर करता है!
सकुड़ि चंदन - यूरिन प्यूरीफायर,ब्लडएसिडिटी को निरंतरितकरता है सभीगुण गीले चंदनसे कुछ अलगहोते है!
पीतचंदन -इशे चंदनमें लाल चंदनजैसे सभी गुणहै विशेष करकेव्यंग नाश करनेका!
लालचंदन - शीतल कड़वावमन तृष्णा , रक्तपित ज्वर, विष , नेत्रो केरोगों को दूरकरता है!
पतंग चंदन- सभी गुण पिलेचंदन के सामानहोते है ,स्वादमें मदूर शीतलरुधिर विकार कोडोर करता है!
शवर चंदन- येपुराण रूप सेपीला नही होताकुछ कुछ पीलाहोता है दाद खाज,पित का शमनकरनेवाला है कोंकणदेशो में येबहोत ही नैयबचंदन है!
बरबर चंदन- इश्केगुण शीतल कड़वाकफ वादी कानाश करता है!
कोड़,और रुदिरके विकार कोडोर करता है!
हरिचंदन- हरिचंदन दिव्या ,कड़वाऔर शीतल होताहै ये ऋषयोको मिलना बहोतही दुर्लभ हैसफ़ेद चंदन केसामान श्रम औरशोक का हरणकरता है!
सभी चंदन राशो में और गुणों में सामान है पर पहला चंदन गंद में सभी चंदनो से श्रेष्ट है!
केशर -कश्मीर ,बलख औरईरान देसमें केशर पायाजाता है इन्हमेंसे कश्मीर वालीकेशर बहोत हीछोटी बारीक़ बालोके सामान औररक्त वर्ण केकमल के गंदके सामान होतीहै
और ये सभीकेसरोंमेंसबसेउत्तमहै!
बलख देश कीकेशर पीले रंगकी होती हैऔर वश मेंकेतकी के फूलोके सामान सुघंदआती है बारीक़होती है लंबाईमेंमध्यम होती है!फारस देशकी केशर कीसुधंद मधु केसामान और रंगइसका कुछपीला सा होताहै!
केशर को कुमकुमभी कहते है नविनलाल रंग कीतेज गंद वालीकेशर उत्तम है
गुण - स्वाद में कड़वीवमन नाशक दहेको उज्वल करनेवाली मस्तक रोगोंमें रामबाण हैकीड़े और झाईके साफ करतीहै!
तृणकेशर - ये भीकश्मीर में होतीहै और तिनकेकी प्रजाति केहै!
गुण - कटु, गरम, वादी ,सूजन ,खुजली,पामा, कोड, दहेमें क्रांति लातीहै!
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