अवैदिक कार्य जेन्हे न करने से माँ लक्ष्मी होती है बहोत प्रश्न- परन्तु डेली लाफे में हम सभी करते है
ऊपर से ढकी हुई पालकी मनुष्य के तीन दोषों का नाश करती है हाथी की सवारी पित्त का नाश करती है लक्ष्मी आयु बढ़ावा देती है
घोड़े पर बलवान पुरुषों के लिए हितकारी है धूप में रहने से मूर्छा रक्तपित्त कृष्णा आदि दूर होती है बारिश में नहाने सीए
निद्रा और आलस्य दूर होता है मित्रता हमेशा उत्तम व्यक्ति के साथ करें. महात्मा की संगत
करें असंगत को त्याग दें
देवता ब्राह्मण वृद्ध वेद राजा और अतिथि की सेवा करें भिखारी को खाली हाथ नहीं जाने देना
चाहिए किसी का भी
तिरस्कार ना करें. गुरु आदि बड़ों के आगे सदैव नर्मता युक्त रहे, उनके आगे पैर पसारना
कुचेष्टा होती है. अपने साथ
बुराई करने वालों के भी साथ भलाई करें कभी भी जल में अपनी परछाई को ना देखें. बिना
किसी वस्त्र के जल में प्रवेश ना
करें. जो व्यक्ति जिस प्रकार प्रसन्न हो उसी प्रकार व्यवहार करना एक श्रेष्ठ और पंडित
व्यक्ति के गुण है. जिससे केवल
आप सुखी हो ऐसा कर्म ना करें ,सभी का विश्वास ना करें और सब में अविश्वास भी ना करें,
मल मूत्र के वेग को ना
रोके,मन के वेग को रोकने की कोशिश करें, इंद्रियों को अति पीड़ित ना करें, नाम बहुत लाड
चाव करें वर्षा में छतरी लेकर
रात्रि में लकड़ी लेकर पैर में जूते लेकर और चार हाथ पृथ्वी को प्रथम लेकर चलना चाहिए. नदी
को हाथ से तैर कर पार ना
जावे जिस पर संदेह हो ऐसी नाउ वृक्ष दुष्ट घोड़े और हाथी पर ना छोड़े सभा में सबके सामने
मुख करके खांसी श्वास डकार
जंवाई ना लेवे घुटनों के बल ना बैठे नाखून से पृथ्वी पर ना लिखें तथा झाड़ू की धूल को अपने दे
पर ना पढ़ने दे कभी भी
अति बारीक वस्तु प्रकाश वाली वस्तु अपवित्र और अप्रिय वस्तु को ना देखें कभी भी इंद्रधनुष
किसी को ना
दिखावे बलवान के साथ कभी भी ना लड़े बुझे को कभी भी मस्तक पर उठा कर ना ले जावे स्त्री
और पुरुष के बीच में कभी
मत जाए शत्रु का अन्न ग्रहण ना करें वेशा का कभी भी अन गहण ना करें बिना जाने किसी
की गवाही ना दें एकांत
स्थान पर सदेव अकेला ना सोए रात्रि के समय देव मंदिर में अकेले ना जाएं रात्रि के समय वृक्ष
के नीचे ना सोए सदाचारी
दिनों से व्यतीत करें
पांच कर्म साये काल की समय कभी ना करें भोजन मिथुन, निंद्रा ,पढ़ना ,और मार्ग चलना
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