वानस्पति ,वनस्पति के गुण और ओषधि के अदभुद रहस्य

वानस्पति ,वनस्पति के गुण और ओषधि के अदभुद रहस्य

द्रव्य भेद-
हमारे शास्त्रों के अनुसारद्रव तीन  प्रकार का होताहै
)जंगम द्रव्-मधु ,दुध, वशा, माश, मूत्र,चमड़ा हड्डी,नश,शीग,खुर,रोम,ये जंगम( मनुष्य,और पशुपक्षी ) से प्राप्तहोते है !
) पार्थिव द्रव्य- सोना  चांदी, रांगा, लोहा जस्तासीसा, शेलाजीत, बालूरेत  चुना,मनशील,हरिताल ,चन्द्रकान्त ,मोतीमुगा, हीरा ,गेरूखड़िया ,सभी पृथ्वीसे प्राप्त कियेजाते है !
इनको भोम द्रवभी खा जाताहै !
) औद्धिदद्गव्य- पृथ्वी को फाड़कर निकलने वालेद्रव को  औद्धिद द्रव कहतेहै !
वो ईश प्रकारहै -वनस्पति , वीरुध, वानस्पति, और औषदि,

वनस्पति-जोबिना फूल केफले उस कोवनस्पति कहते है  जैसे-वड़, पीपल गूलर,पाखर,( ये वनोंके पति होनेसे  वनस्पति  कहतेहै !
वीरुध- जोफलफूल वाली होकरबेल ,गुछे , छोटेसे वृक्ष मेंबहोत साडी डालीफोट कर सघन  होजाये  
उस को वीरुधकहते है ! जैसेपानी की गिलोयके बेल. धमासा, अडूसा ( जो लाताफल कर बहोतसी जमीन कोघेर लेवे वीरुधकहलाता है  आशा चरक मेंहै गया है!

वानस्पति- जोफूलआकरफले  वश को वानस्पतिकहतेहै.
जैसे आम , जामन,नीबू, नारंगी  केला आदि! बहोतसीआमकेनश्लमेंफूलनहीआतासहीदफलहीआताहै  आशा फल प्रदूषितमनजाताहै! फूलऔरफलफरधानकरकेजोवृक्षहैवोहैवानस्पतिहै!
ओषधि - जो फल केपाक  होने सी नष्टहोजायेउसकोओषधिकहतेहै!
जैसे -गेहू चना,जौ, चावल ,आदि!

जौ पञ्च भूतो  की अग्नि सीपकनेसेग्रहणकीजायेउसकोओषधिकहतेहै

वृक्ष आदि मेंभी स्त्री पुरुषऔर नपुंसक केतीन भेद होतेहैं  इनतीनों के लक्षणइस प्रकार हैं
स्त्री जाति केपेड़ोंकेलक्षणगना,बांस जिनकेगुर्दे शाखा फलफूल पत्ति यहचिकने और लंबे  औरपरम सुंदर होतेहैं वृक्ष कोऐसे वृक्ष कोइस्त्री संज्ञा जाना जाताहै
पुरुष जाति केपेड़ोंकेलक्षण_ जिस वृक्ष केफूल पत्ते आदिना बहुत बड़ेहुए  नाछूटे हुए किंतुमोटे और कटेहुए उस वृक्षको पुरुष जातिका वृक्ष मानाजाता है जैसीआडू अमरूद
नपुसक जाति केवृक्षकेलक्षण_ जिस वृक्ष कीशाखा फल फूलपत्ते आदि पुरुषऔर स्त्री दोनोंसे लक्ष्मण मिलतेहो वह  निश्चित ना होपाए कि वहपुरुष जाति काहै कि श्रीजाति का हैऐसे वृक्ष कोनपुंसक जाति कोकहते हैं
पुरुष जाति कीऔषधि रोग कोदूर करने वालीऔर बल बढ़ानेवाली है  स्त्री जाति कीऔषधि दुर्लभ औरअल्प गुण करनेवाली है
जन्म नक्षत्र केवृक्षग्रहणकरनेसेदोष-
जो प्राणी अपने नक्षत्रके वृक्षों कीऔषधि को ग्रहणकरता है   उसकी आयुधन स्त्री औरपुरुष नष्ट होतेहैं जन्म नक्षत्रकी अधिपति वृक्षको जल आदिदेने से आयुधन स्त्री औरपुत्र  इसलिएजन्म नक्षत्र पूछकरही औषधि काक्यों करना चाहिए
विंध्याचल पर्वत में अग्निका अंश अधिकहै हिमालय पर्वतमें सो मेंअथार्थ शीतलता जादा हैइसलिए इन औषधिका प्रयोग इनकेजन्म गुणों केअनुसार करना चाहिएसांप की बांबीदृष्ट पृथ्वी शमशानक्षण जमीन औरमार्ग आदि सेप्रकट होने वालीऔषधि का उपयोगनहीं करना चाहिएकीडो की खाई  लूसे पिटाई औषधिका कार्य साधननहीं करना चाहिएअथार्त ऐसे स्थानोंपर बिगड़ी हुईऔषधि का  उपयोग नहीं करनाचाहिए!
 जहां औषधिका अंग नहींवहां उसकी जड़लेनी चाहिए  तोलने की सुविधाना हो तोसभी औषधि कोसमान भाग मेंलेना चाहिए पात्रनहीं है तोवहां मिट्टी कापत्र लेना चाहिए  पीपलगुड गेहूं चावलइनका सदियों पुरानाउपयोग करना चाहिए  जोऔषधि गीली हैउसकी धोनी लेनीचाहिए सोंठ सतावरसाथ गिलोय इंद्राणीआदि की धूनीनहीं लेनी चाहिए!
मछली का मांसऔर जल समीपरहने वाले जीवोका मास दूधके साथ नहींकरना चाहिए।  कबूतर मास कोसरसों के तेलमें भूना नहीं  चाहिएमछली को मिठाईके साथ औरमधु के साथखाना वर्जित हैगरम पदार्थों केसाथ दही नहींखानी चाहिए खिचड़ीके साथ खीरखाना वर्जित हैछाछ दही केसाथ केला नाखाएं घी औरमधु को बराबरमिलाकर नहीं खानाचाहिए!
मिर्च को संस्कृतमें कृष्णा  उषण औरधर्म पतन कहतीहैं यह गुलमजाति का औषधिका वृक्ष हैकालीमिर्च दो प्रकारकी होती हैएक पूर्वी औरएक दकनी। दक्षिणीमिर्च उत्तम हैकहीं हुई मिर्चोंको सफेद मिर्चकहते हैं परंतुसफेद मिर्च कीजाति अलग है हरी मिर्चकी बहुत सीप्रजातिया पाई जातीहै मिर्च कारस चटपटा गुणतीखा होता है  वातपित्त और कफकरता है रुक्षऔर किडनी रोगोंको दूर करतीहै हरी मिर्चकप को काटनेमें तलवार केसमान है  ज्वर कानाश करने वालीहै रक्तपित्त कोबढ़ाने वाली हैहिचकी को दूरकरती है   गांठ अपचऔर कान कीशूल को दूरकरती है कालीमिर्च कच्ची खांडऔर घी कोमिलाने से समस्तनेत्र रोगों कानाश होता हैकाली मिर्च केसाथ जो मिलाएंतथा गौ मूत्रमें पीसकर लेपलगाने से खुजलीदूर होती है।
सफेद मिर्च_
  विषनाशक भूत नाशकबल नाशक  युक्ति पूर्वक रसायनके गुण है।
त्रिकूट_
  सोंठ पीपलऔर मिर्च कोसमान रुप मेंलेना  चित्रकूटकेलाता है स्वास्थखांसी तवचा केरोग  कोदूर करता है
  पीरा मूल- यह पीपल कीजड़ की गांठके टुकड़े होतेहैं यह बारीक मोटे दोप्रकार के होतेहैं परंतु मोटीबहुत जल्दी घुलजाती है।

पाचन हल्का पित करताभेदी   अफाराकृमिनाशक श्वास की रोगको नष्ट करताहै

Comments